पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रथ यात्रा को कलकत्ता हाई कोर्ट से मिली मंज़ूरी
हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रस्तावित रथ यात्रा के दौरान क़ानून-व्यवस्था का कोई उल्लंघन नहीं हो.
कोर्ट ने आदेश दिया कि इस यात्रा से यातायात में बाधा नहीं आनी चाहिए और यदि इस दौरान किसी भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो याचिकाकर्ता (बीजेपी) इसके लिए ज़िम्मेदार होगा.
कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यात्रा शुरू होने से कम से कम 12 घंटे पहले ज़िलाधिकारियों को सूचित करना होगा.
पश्चिम बंगाल बीजेपी की राज्य में तीन रथ यात्रा करने की योजना थी जिसे ममता सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी. बीबीसी संवाददाता अमिताभ भट्टासाली के मुताबिक अब राज्य सरकार का कहना है कि वो एकल पीठ के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील करेगी.
क्या है मामला?
इसके बाद बीजेपी हाई कोर्ट चली गई थी. लेकिन, छह दिसंबर को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी बीजेपी को रथ यात्रा की मंजूरी नहीं दी.
फिर, बीजेपी हाई कोर्ट की डिविजन बेंच के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची.
डिविजन बेंच ने 7 दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए बीजेपी के अनुरोध पर प्रदेश के अधिकारियों की सुस्ती पर आश्चर्य जाहिर किया और उनसे पूछा कि रथ यात्रा के अनुरोध को एक महीने से ऊपर हो जाने के बावजूद किसी अधिकारी ने उनसे बातचीत क्यों नहीं की.
तब डिविजन बेंच ने राज्य के तीन मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों- मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस के डीजी को आदेश दिया था कि वे बीजेपी के तीन नेताओं के साथ 14 दिसंबर से पहले बैठकर रथ यात्रा की तारीख़ निर्धारित करें.
टीएमसी सरकार ने इस पर चर्चा के बाद 15 दिसंबर को फिर रथ यात्रा की मंजूरी नहीं दी.
इसके बाद बुधवार, 19 दिसंबर, को पश्चिम बंगाल बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के कई भागों में क़ानून उल्लंघन कार्यक्रम आयोजित कर सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.
ममता सरकार ने लगाई थी रोक
बुधवार को ही तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि बीजेपी को रथ यात्रा के लिए अनुमति इसलिए नहीं दी गई क्योंकि ख़ुफ़िया विभाग की सूचना के मुताबिक इससे सांप्रदायिक सद्भावना बिगड़ने का डर है.
भारतीय जनता पार्टी का पश्चिम बंगाल में तीन रथ यात्राएं निकालने का कार्यक्रम था.
पहली रथ यात्रा 7 दिसंबर से तो दूसरी 9 दिसंबर और तीसरी 14 दिसंबर से निकाली जानी थी लेकिन पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने इसकी इजाज़त नहीं दी तो बीजेपी मामले को लेकर हाई कोर्ट जा पहुंची थी.
कोर्ट ने आदेश दिया कि इस यात्रा से यातायात में बाधा नहीं आनी चाहिए और यदि इस दौरान किसी भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो याचिकाकर्ता (बीजेपी) इसके लिए ज़िम्मेदार होगा.
कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यात्रा शुरू होने से कम से कम 12 घंटे पहले ज़िलाधिकारियों को सूचित करना होगा.
पश्चिम बंगाल बीजेपी की राज्य में तीन रथ यात्रा करने की योजना थी जिसे ममता सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी. बीबीसी संवाददाता अमिताभ भट्टासाली के मुताबिक अब राज्य सरकार का कहना है कि वो एकल पीठ के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील करेगी.
क्या है मामला?
इसके बाद बीजेपी हाई कोर्ट चली गई थी. लेकिन, छह दिसंबर को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी बीजेपी को रथ यात्रा की मंजूरी नहीं दी.
फिर, बीजेपी हाई कोर्ट की डिविजन बेंच के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची.
डिविजन बेंच ने 7 दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए बीजेपी के अनुरोध पर प्रदेश के अधिकारियों की सुस्ती पर आश्चर्य जाहिर किया और उनसे पूछा कि रथ यात्रा के अनुरोध को एक महीने से ऊपर हो जाने के बावजूद किसी अधिकारी ने उनसे बातचीत क्यों नहीं की.
तब डिविजन बेंच ने राज्य के तीन मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों- मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस के डीजी को आदेश दिया था कि वे बीजेपी के तीन नेताओं के साथ 14 दिसंबर से पहले बैठकर रथ यात्रा की तारीख़ निर्धारित करें.
टीएमसी सरकार ने इस पर चर्चा के बाद 15 दिसंबर को फिर रथ यात्रा की मंजूरी नहीं दी.
इसके बाद बुधवार, 19 दिसंबर, को पश्चिम बंगाल बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के कई भागों में क़ानून उल्लंघन कार्यक्रम आयोजित कर सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.
ममता सरकार ने लगाई थी रोक
बुधवार को ही तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि बीजेपी को रथ यात्रा के लिए अनुमति इसलिए नहीं दी गई क्योंकि ख़ुफ़िया विभाग की सूचना के मुताबिक इससे सांप्रदायिक सद्भावना बिगड़ने का डर है.
भारतीय जनता पार्टी का पश्चिम बंगाल में तीन रथ यात्राएं निकालने का कार्यक्रम था.
पहली रथ यात्रा 7 दिसंबर से तो दूसरी 9 दिसंबर और तीसरी 14 दिसंबर से निकाली जानी थी लेकिन पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने इसकी इजाज़त नहीं दी तो बीजेपी मामले को लेकर हाई कोर्ट जा पहुंची थी.
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