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Showing posts from December, 2018

पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रथ यात्रा को कलकत्ता हाई कोर्ट से मिली मंज़ूरी

हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रस्तावित रथ यात्रा के दौरान क़ानून-व्यवस्था का कोई उल्लंघन नहीं हो. कोर्ट ने आदेश दिया कि इस यात्रा से यातायात में बाधा नहीं आनी चाहिए और यदि इस दौरान किसी भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो याचिकाकर्ता (बीजेपी) इसके लिए ज़िम्मेदार होगा. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यात्रा शुरू होने से कम से कम 12 घंटे पहले ज़िलाधिकारियों को सूचित करना होगा. पश्चिम बंगाल बीजेपी की राज्य में तीन रथ यात्रा करने की योजना थी जिसे ममता सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी. बीबीसी संवाददाता अमिताभ भट्टासाली के मुताबिक अब राज्य सरकार का कहना है कि वो एकल पीठ के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील करेगी. क्या है मामला? इसके बाद बीजेपी हाई कोर्ट चली गई थी. लेकिन, छह दिसंबर को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी बीजेपी को रथ यात्रा की मंजूरी नहीं दी. फिर, बीजेपी हाई कोर्ट की डिविजन बेंच के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची. डिविजन बेंच ने 7 दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए बीजेपी के अनुरोध पर प्रदेश के अधिकारियों क

वो शहर जिसने दुनिया को 'वक़्त' बेचा

मारी ज़िंदगी में सही वक़्त की अहमियत ये गीत बख़ूबी बयां करता है. वक़्त की पाबंदी को पेशेवर ज़िंदगी का बुनियादी उसूल माना जाता है. रेलगाड़ियों का चलना हो या हवाई जहाज़ का उड़ना, सब को वक़्त की पाबंदी माननी होती है. आप को दफ़्तर पहुंचना हो, या खाना खाना हो, सारे काम मुक़र्रर समय पर ही हों , तो ठीक माना जाता है. और ये पाबंदी हर ख़ास-ओ-आम पर लागू होती है. लेकिन, हम आपको अगर ये बताएं कि आज से दो सौ-ढाई सौ साल पहले ऐसा नहीं था, तो शायद आप यक़ीन न करें. लेकिन, हक़ीक़त यही है. पूरी कहानी जुड़ी है घड़ियों से. आज हर हाथ और घर में दिखने वाली घड़ी कभी अमीरों का शौक़ थी. इसे कलाई पर नहीं पहना जाता था. ये वो दौर था, जब लोग जेब में घड़ियां लेकर चलते थे. और ये बहुत ही रईस लोगों की पहुंच में हुआ करती थीं. सवाल ये उठता है कि जब घड़ियां थीं ही नहीं इतनी आम तो, वक़्त की पाबंदी का क्या था? वाल्थम वाच कंपनी ने बदल दिया दुनिया का नज़रिया लेकिन, एक कंपनी ने वक़्त को लेकर दुनिया का नज़रिया ही बदल दिया. इस कंपनी का नाम था वाल्थम वॉच कंपनी. उन्नीसवीं सदी में अमरीका के मैसाचुसेट्स राज्य के वाल्थम

कितनी मुश्किल में हैं इसराइली पीएम नेतन्याहू

इसराइल की पुलिस ने कहा है कि प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की जांच करने पर पता चला है कि उन्हें धोखाधड़ी और रिश्वत के मामले में अभियुक्त बनाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. इसराइल में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार हरेंद्र मिश्रा बताते हैं, " नेतन्याहू के ख़िलाफ़ कई मामलों में जांच जारी है. पुलिस ने ऐसे चार में से तीन मामलों में रिपोर्ट दर्ज की है और कहा है कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है. मगर यह फ़ैसला अटॉर्नी जनरल को करना है कि नेतन्याहू के ख़िलाफ़ आगे अदालती कार्रवाई करनी है या नहीं." नेतन्याहू पर बेज़ेक़ नाम की एक टेलिकॉम कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव करने का भी आरोप है. कथित तौर पर यह बदलाव इसलिए किए गए ताकि बदले में एक न्यूज़ वेबसाइट पर उनकी और उनकी पत्नी की ज़्यादा सकारात्मक कवरेज हो. ऐसे में पुलिस को मुक़दमा चलाने लायक सबूत मिलना नेतन्याहू की मुश्किलों को बढ़ा सकता है . वरिष्ठ पत्रकार हरेंद्र मिश्रा बताते हैं, "अटॉर्नी जनरल ने पिछले कुछ मामलों में बयान नहीं दिया है मगर इस मामले को काफ़ी गंभीर माना जा रहा है. रविवार को नेतन्याहू जब कै बिन