आईपीएल-12: वानखेड़े में पोलार्ड ने की छक्कों की बरसात
कहने को आईपीएल के टी-20 जैसे छोटे स्वरूप में किसी एक खिलाड़ी की पारी मैच का नक्शा ही बदल देती है, लेकिन जब सामने जीत के लिए 198
रनों जैसा लक्ष्य हो और एक समय चार विकेट 94 रन पर ही गिर जाए वो भी 12 ओवर के बाद तो फिर तो टीम को हार ही नज़र आती है.
इसके बावजूद अगर कोई केवल 31 गेंदों पर तीन चौके और 10 छक्के लगाकर मैच ही जीता दे तो उसे चमत्कार ही कहा जा सकता है.
बुधवार को वानखेड़े के मैदान में यह सब कर दिखाया मुंबई के किरेन पोलार्ड ने, जिन्होंने अपनी तूफानी और धुंआधार 83 रनों की पारी से अपनी टीम को तीन विकेट से जीत दिला दी.
मुंबई ने किंग्स इलेवन पंजाब के ख़िलाफ़ मैच की आखिरी गेंद पर सात विकेट खोकर जीत हासिल की.
जब जीत के लिए एक-एक रन का संघर्ष चल रहा था, तब पूरा वानखेड़े स्टेडियम खड़ा होकर दिल थामे मैच देख रहा था.
इस बेहद रोमांचक मैच में टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी की दावत पाकर किंग्स इलेवन पंजाब ने निर्धारित 20 ओवर में चार विकेट खोकर 197 रन बनाए.
पंजाब के सलामी बल्लेबाज़ केएल राहुल ने 64 गेंदों पर छह चौक्के और इतने ही छक्कों की मदद से पूरे 100 रनों की नाबाद पारी खेली.
उनके अलावा उनके जोड़ीदार सलामी बल्लेबाज़ क्रिस गेल ने भी 36 गेंदों पर तीन चौके और सात छक्कों के सहारे 63 रन बनाए.
हार्दिक पांड्या ने 57 रन देकर दो विकेट हासिल किए.
लेकिन कौन जानता था कि एक समय जब पंजाब की जीत लगभग निश्चित नज़र आ रही थी उसे हार में बदलने के लिए किरेन पोलार्ड अकेले ही काफी साबित होंगे.
इस महामुक़ाबले में मुंबई के कप्तान रोहत शर्मा चोट के कारण नही खेले. नतीजा ये हुआ कि कप्तानी का भार पोलार्ड ने संभाला.
जब मुंबई के बल्लेबाज़ जीत के लिए 198 रनों की तलाश में बल्लेबाज़ी करने उतरे तो पंजाब की टीम का पलड़ा तब भारी नज़र आने लगा जब 12 ओवर के बाद मुंबई का स्कोर चार विकेट खोकर 94 रन हो गया.
तब तक क्विंटन डी कॉक 24, रोहित शर्मा की जगह अपना पहला मैच खेल रहे सिद्धार्थ लाड 15, सूर्यकुमार यादव 21 और ईशान किशन सात रन बनाकर पैवेलियन लौट चुके थे.
दर्शकों में बैठी किंग्स इलेवन की मालकिन प्रीति ज़िंटा के चेहरे की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.
वह पंजाब के समर्थकों के साथ अपने खिलाड़ियों का जोश बढ़ा रही थी.
उधर मुंबई की मुश्किलें तब और भी बढ़ गई जब पांड्या बंधु हार्दिक और कृणाल भी पिच का साथ छोड गए. हार्दिक पांड्या ने 19 और कृणाल पांड्या ने एक रन बनाया.
मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में शांति छाई हुई थी. लेकिन इसके बाद सबने वेस्ट इंडीज़ के किरेन पोलार्ड की बल्लेबाज़ी की ऐसी आंधी देखी जिसमें पंजाब टीम ही उड़ गया.
पोलार्ड ने मसल पॉवर का ऐसा प्रदर्शन किया कि उनके आधेअधूरे बल्ले से भी लगकर गेंद हवाई रास्ता तय करते हुए बाउंड्री लाइन के बाहर जा रही थी.
यहां तक कि आखिरी दो ओवर में भी मुंबई को जीत के लिए 32 रनों की ज़रूरत थी तब भी पंजाब को कुछ उम्मीद थी.
लेकिन पोलार्ड ने सैम करेन की गेंदों पर जो पारी का 19वां ओवर था उसका स्वागत चौके से किया. उसके बाद तीसरी और चौथी गेंद को छक्के लिए भेजा.
आखिरी ओवर में भी जीत के लिए मुंबई को 15 रनों की ज़रूरत थी, लेकिन जब पोलार्ड का बल्ला बेरहमी से चल रहा हो तो ये नामुमकिन नहीं था.
अंकित राजपूत आख़िरी ओवर के दबाव के सहन नहीं कर सके. उनकी पहली ही गेंद दो नो बॉल थी उस पर पोलार्ड ने ऐसे छक्का जड़ दिया जैसे वह गली मोहल्ले के गेंदबाज़ों का सामना कर रहे हो. अगली ही गेंद पर उन्होंने फिर चौका भी लगाया.
हांलाकि इसके बाद वह ऊचां शॉट खेलते हुए डेविड मिलर को कैच दे बैठे लेकिन तब तक मैच मुंबई की पकड़ में आ चुका था.
उनके वेस्ट इंडीज़ के ही साथी अलज़ारी जोसफ़ ने अंतिम गेंद पर दो रन लेकर मैच की औपचारिकताएं पूरी की. लेकिन यह दो रन किसी शतक से कम नहीं थे.
जबकि इससे पहले केएल राहुल ने जो शानदार शतकीय पारी खेली थी उसके बाद तमाम क्रिकेट लेखकों ने उनकी तारीफ़ और पंजाब की संभावित जीत को लेकर जो कहानी लिखी थी उसकी सारी स्क्रिपट बदल गई.
रनों जैसा लक्ष्य हो और एक समय चार विकेट 94 रन पर ही गिर जाए वो भी 12 ओवर के बाद तो फिर तो टीम को हार ही नज़र आती है.
इसके बावजूद अगर कोई केवल 31 गेंदों पर तीन चौके और 10 छक्के लगाकर मैच ही जीता दे तो उसे चमत्कार ही कहा जा सकता है.
बुधवार को वानखेड़े के मैदान में यह सब कर दिखाया मुंबई के किरेन पोलार्ड ने, जिन्होंने अपनी तूफानी और धुंआधार 83 रनों की पारी से अपनी टीम को तीन विकेट से जीत दिला दी.
मुंबई ने किंग्स इलेवन पंजाब के ख़िलाफ़ मैच की आखिरी गेंद पर सात विकेट खोकर जीत हासिल की.
जब जीत के लिए एक-एक रन का संघर्ष चल रहा था, तब पूरा वानखेड़े स्टेडियम खड़ा होकर दिल थामे मैच देख रहा था.
इस बेहद रोमांचक मैच में टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी की दावत पाकर किंग्स इलेवन पंजाब ने निर्धारित 20 ओवर में चार विकेट खोकर 197 रन बनाए.
पंजाब के सलामी बल्लेबाज़ केएल राहुल ने 64 गेंदों पर छह चौक्के और इतने ही छक्कों की मदद से पूरे 100 रनों की नाबाद पारी खेली.
उनके अलावा उनके जोड़ीदार सलामी बल्लेबाज़ क्रिस गेल ने भी 36 गेंदों पर तीन चौके और सात छक्कों के सहारे 63 रन बनाए.
हार्दिक पांड्या ने 57 रन देकर दो विकेट हासिल किए.
लेकिन कौन जानता था कि एक समय जब पंजाब की जीत लगभग निश्चित नज़र आ रही थी उसे हार में बदलने के लिए किरेन पोलार्ड अकेले ही काफी साबित होंगे.
इस महामुक़ाबले में मुंबई के कप्तान रोहत शर्मा चोट के कारण नही खेले. नतीजा ये हुआ कि कप्तानी का भार पोलार्ड ने संभाला.
जब मुंबई के बल्लेबाज़ जीत के लिए 198 रनों की तलाश में बल्लेबाज़ी करने उतरे तो पंजाब की टीम का पलड़ा तब भारी नज़र आने लगा जब 12 ओवर के बाद मुंबई का स्कोर चार विकेट खोकर 94 रन हो गया.
तब तक क्विंटन डी कॉक 24, रोहित शर्मा की जगह अपना पहला मैच खेल रहे सिद्धार्थ लाड 15, सूर्यकुमार यादव 21 और ईशान किशन सात रन बनाकर पैवेलियन लौट चुके थे.
दर्शकों में बैठी किंग्स इलेवन की मालकिन प्रीति ज़िंटा के चेहरे की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.
वह पंजाब के समर्थकों के साथ अपने खिलाड़ियों का जोश बढ़ा रही थी.
उधर मुंबई की मुश्किलें तब और भी बढ़ गई जब पांड्या बंधु हार्दिक और कृणाल भी पिच का साथ छोड गए. हार्दिक पांड्या ने 19 और कृणाल पांड्या ने एक रन बनाया.
मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में शांति छाई हुई थी. लेकिन इसके बाद सबने वेस्ट इंडीज़ के किरेन पोलार्ड की बल्लेबाज़ी की ऐसी आंधी देखी जिसमें पंजाब टीम ही उड़ गया.
पोलार्ड ने मसल पॉवर का ऐसा प्रदर्शन किया कि उनके आधेअधूरे बल्ले से भी लगकर गेंद हवाई रास्ता तय करते हुए बाउंड्री लाइन के बाहर जा रही थी.
यहां तक कि आखिरी दो ओवर में भी मुंबई को जीत के लिए 32 रनों की ज़रूरत थी तब भी पंजाब को कुछ उम्मीद थी.
लेकिन पोलार्ड ने सैम करेन की गेंदों पर जो पारी का 19वां ओवर था उसका स्वागत चौके से किया. उसके बाद तीसरी और चौथी गेंद को छक्के लिए भेजा.
आखिरी ओवर में भी जीत के लिए मुंबई को 15 रनों की ज़रूरत थी, लेकिन जब पोलार्ड का बल्ला बेरहमी से चल रहा हो तो ये नामुमकिन नहीं था.
अंकित राजपूत आख़िरी ओवर के दबाव के सहन नहीं कर सके. उनकी पहली ही गेंद दो नो बॉल थी उस पर पोलार्ड ने ऐसे छक्का जड़ दिया जैसे वह गली मोहल्ले के गेंदबाज़ों का सामना कर रहे हो. अगली ही गेंद पर उन्होंने फिर चौका भी लगाया.
हांलाकि इसके बाद वह ऊचां शॉट खेलते हुए डेविड मिलर को कैच दे बैठे लेकिन तब तक मैच मुंबई की पकड़ में आ चुका था.
उनके वेस्ट इंडीज़ के ही साथी अलज़ारी जोसफ़ ने अंतिम गेंद पर दो रन लेकर मैच की औपचारिकताएं पूरी की. लेकिन यह दो रन किसी शतक से कम नहीं थे.
जबकि इससे पहले केएल राहुल ने जो शानदार शतकीय पारी खेली थी उसके बाद तमाम क्रिकेट लेखकों ने उनकी तारीफ़ और पंजाब की संभावित जीत को लेकर जो कहानी लिखी थी उसकी सारी स्क्रिपट बदल गई.
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